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हमे छोड़ कर कहाँ चले गये कलाम साहब… ‘जनता के राष्ट्रपति’ के साथ-साथ देश ने एक भारत रत्न खो दिया। आप अपने पैशन में पढ़ाते-पढ़ाते ही यूं जिंदगी को अलविदा कह गए यक़ीन करना भी मुश्किल हो रहा है । “हिंदू भी रो रहा है, मुसलमान भी रो रहा है । देश का बेटा गया है,पूरा हिंदूस्तान रो रहा है। मुझे पिता के निधन के बाद जीवन में सबसे बड़ा झटका और सदमा लगा, आज ये सब शेयर इस लिए कर रहा हूँ क्योंकि मन हल्का करने के लिए कोई दूसरा विकल्प नज़र नहीं आया । अभी तो हम लोगों का सफ़र ठीक से शुरू भी नहीं हुआ था, अभी तो हम नादान हैं नहीं है हमारे अंदर वो एनर्जी जो आपके शरीर में 83 की उम्र में भी देखने को मिली। आप सच्चे देशभक्त और विज्ञान,शिक्षा एवं नैतिकता के एक दुर्लभ संयोजन थे। आखिर ये क्या हो गया की अचानक जिसकी कोई चर्चा या कोई कल्पना भी नहीं कर रहा था । नहीं पता था की आप हमे अधूरे रास्ते में ही छोड़ कर विदा हो जाएंगे, आपसे मिलने की ख़्वाहिश दिल में दफ़न होकर ही रह गई । आपकी कमी पूरी नहीं हो सकती कलाम साहब, आपका कोई विकल्प भी तो नज़र नहीं आ रहा है !!! आपके एक हाथ में क़ुरआन और दूसरे हाथ में गीता, आप मस्ज़िद भी जाते थे आप मंदिर भी जाते थे । आप वो मिसाइल हैं जिसको देखकर धर्म के ठेकेदारों को डरा हुआ महसूस करना चाहिए । आप मिसाइल मैन भी हैं, आप मिशाल भी हैं ।
-ताहिर खान
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